इमा नु कं भुवना सीषधामेन्द्रश्च विश्वे च देवाः। यज्ञं च नस्तन्वं च प्रजां चादित्यैरिन्द्रः सह चीक्लृपाति ॥
अथर्ववेद में सूक्त-६३ के 9 संदर्भ मिले
इमा नु कं भुवना सीषधामेन्द्रश्च विश्वे च देवाः। यज्ञं च नस्तन्वं च प्रजां चादित्यैरिन्द्रः सह चीक्लृपाति ॥
आदित्यैरिन्द्रः सगणो मरुद्भिरस्माकं भूत्वविता तनूनाम्। हत्वाय देवा असुरान्यदायन्देवा देवत्वमभिरक्षमाणाः ॥
प्रत्यञ्चमर्कमनयं छचीभिरादित्स्वधामिषिरां पर्यपश्यन्। अया वाजं देवहितं सनेम मदेम शतहिमाः सुवीराः ॥
य एक इद्विदयते वसु मर्ताय दाशुषे। ईशानो अप्रतिष्कुत इन्द्रो अङ्ग ॥
कदा मर्तमराधसं पदा क्षुम्पमिव स्फुरत्। कदा नः शुश्रवद्गिर इन्द्रो अङ्ग ॥
यश्चिद्धि त्वा बहुभ्य आ सुतावाँ आविवासति। उग्रं तत्पत्यते शव इन्द्रो अङ्ग ॥
य इन्द्र सोमपातमो मदः शविष्ठ चेतति। येना हंसि न्यत्त्रिणं तमीमहे ॥
येना दशग्वमध्रिगुं वेपयन्तं स्वर्णरम्। येना समुद्रमाविथा तमीमहे ॥
येन सिन्धुं महीरपो रथाँ इव प्रचोदयः। पन्थामृतस्य यातवे तमीमहे ॥
वेद पढ़ना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। जन जन तक वैदिक वांग्मय का प्रचार व प्रसार करना इस वेद पोर्टल का मुख्य उद्देश्य है। यह प्रकल्प आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहा है। इसके अंतर्गत वेद मन्त्रों का डिजिटलीकरण एवं वेद सर्च इंजन विकसित किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न भाषाओँ में वेद भाष्यों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। ... आगे पढ़ें
2025 © आर्य समाज - सभी अधिकार सुरक्षित.