अपघ्नन्पवते मृधोऽप सोमो अराव्णः । गच्छन्निन्द्रस्य निष्कृतम् ॥५१०॥
सामवेद में अमहीयुराङ्गिरसः के 6 संदर्भ मिले
अपघ्नन्पवते मृधोऽप सोमो अराव्णः । गच्छन्निन्द्रस्य निष्कृतम् ॥५१०॥
स न इन्द्राय यज्यवे वरुणाय मरुद्भ्यः । वरिवोवित्परिस्रव ॥५९२॥
एना विश्वान्यर्य आ द्युम्नानि मानुषाणाम् । सिषासन्तो वनामहे ॥५९३॥
एतमु त्यं दश क्षिपो मृजन्ति सिन्धुमातरम् । समादित्येभिरख्यत ॥१०८१॥
समिन्द्रेणोत वायुना सुत एति पवित्र आ । सꣳ सूर्यस्य रश्मिभिः ॥१०८२॥
स नो भगाय वायवे पूष्णे पवस्व मधुमान् । चारुर्मित्रे वरुणे च ॥१०८३॥
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