यददीव्यन्नृणमहं कृणोम्यदास्यन्नग्न उत संगृणामि। वैश्वानरो नो अधिपा वसिष्ठ उदिन्नयाति सुकृतस्य लोकम् ॥
अथर्ववेद में वैश्वानरोऽग्निः के 3 संदर्भ मिले
यददीव्यन्नृणमहं कृणोम्यदास्यन्नग्न उत संगृणामि। वैश्वानरो नो अधिपा वसिष्ठ उदिन्नयाति सुकृतस्य लोकम् ॥
वैश्वानराय प्रति वेदयामि यद्यृणं संगरो देवतासु। स एतान्पाशान्विचृतं वेद सर्वानथ पक्वेन सह सं भवेम ॥
वैश्वानरः पविता मा पुनातु यत्संगरमभिधावाम्याशाम्। अनाजानन्मनसा याचमानो यत्तत्रैनो अप तत्सुवामि ॥
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