स इधानो वसुष्कविरग्निरीळेन्यो गिरा। रेवदस्मभ्यं पुर्वणीक दीदिहि ॥
ऋग्वेद में निचृदार्ष्युष्णिक् के 3 संदर्भ मिले
स इधानो वसुष्कविरग्निरीळेन्यो गिरा। रेवदस्मभ्यं पुर्वणीक दीदिहि ॥
क्षपो राजन्नुत त्मनाग्ने वस्तोरुतोषसः। स तिग्मजम्भ रक्षसो दह प्रति ॥
मंसीमहि त्वा वयमस्माकं देव पूषन् । मतीनां च साधनं विप्राणां चाधवम् ॥
वेद पढ़ना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। जन जन तक वैदिक वांग्मय का प्रचार व प्रसार करना इस वेद पोर्टल का मुख्य उद्देश्य है। यह प्रकल्प आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहा है। इसके अंतर्गत वेद मन्त्रों का डिजिटलीकरण एवं वेद सर्च इंजन विकसित किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न भाषाओँ में वेद भाष्यों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। ... आगे पढ़ें
2025 © आर्य समाज - सभी अधिकार सुरक्षित.