देवता : अनुष्टुप् ऋषि : यक्ष्मनाशनी छन्द : सवित्री, सूर्या स्वर : विवाह प्रकरण सूक्त येवध्वश्चन्द्रं वहतुं यक्ष्मा यन्ति जनाँ अनु। पुनस्तान्यज्ञियादेवा नयन्तु यत आगताः ॥ Atharvaveda/14/2/10