प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना। प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातः सोममुत रुद्रं हवामहे ॥
अथर्ववेद में मित्रावरुणौ, कामबाणः के 7 संदर्भ मिले
प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना। प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातः सोममुत रुद्रं हवामहे ॥
उत्तुदस्त्वोत्तुदतु मा धृथाः शयने स्वे। इषुः कामस्य या भीमा तया विध्यामि त्वा हृदि ॥
आधीपर्णां कामशल्यामिषुं संकल्पकुल्मलाम्। तां सुसंनतां कृत्वा कामो विध्यतु त्वा हृदि ॥
या प्लीहानं शोषयति कामस्येषुः सुसंनता। प्राचीनपक्षा व्योषा तया विध्यामि त्वा हृदि ॥
शुचा विद्धा व्योषया शुष्कास्याभि सर्प मा। मृदुर्निमन्युः केवली प्रियवादिन्यनुव्रता ॥
आजामि त्वाजन्या परि मातुरथो पितुः। यथा मम क्रतावसो मम चित्तमुपायसि ॥
व्यस्यै मित्रावरुणौ हृदश्चित्तान्यस्यतम्। अथैनामक्रतुं कृत्वा ममैव कृणुतं वशे ॥
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