तुभ्यमेव जरिमन्वर्धतामयम्मेममन्ये मृत्यवो हिंसिषुः शतं ये। मातेव पुत्रं प्रमना उपस्थे मित्र एनं मित्रियात्पात्वंहसः ॥
अथर्ववेद में जरिमा के 2 संदर्भ मिले
तुभ्यमेव जरिमन्वर्धतामयम्मेममन्ये मृत्यवो हिंसिषुः शतं ये। मातेव पुत्रं प्रमना उपस्थे मित्र एनं मित्रियात्पात्वंहसः ॥
त्वमीशिषे पशूनां पार्थिवानां ये जाता उत वा ये जनित्राः। मेमं प्राणो हासीन्मो अपानो मेमं मित्रा वधिषुर्मो अमित्राः ॥
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