शं ते अग्निः सहाद्भिरस्तु शं सोमः सहौषधीभिः। एवाहं त्वां क्षेत्रियान्निरृत्या जामिशंसाद्द्रुहो मुञ्चामि वरुणस्य पाशात्। अनागसं ब्रह्मणा त्वा कृणोमि शिवे ते द्यावापृथिवी उभे स्ताम् ॥
अथर्ववेद में सप्तपदाष्टिः के 3 संदर्भ मिले
शं ते अग्निः सहाद्भिरस्तु शं सोमः सहौषधीभिः। एवाहं त्वां क्षेत्रियान्निरृत्या जामिशंसाद्द्रुहो मुञ्चामि वरुणस्य पाशात्। अनागसं ब्रह्मणा त्वा कृणोमि शिवे ते द्यावापृथिवी उभे स्ताम् ॥
यो वै नैदाघं नामर्तुं वेद। एष वै नैदाघो नामर्तुर्यदजः पञ्चौदनः। निरेवाप्रियस्य भ्रातृव्यस्य श्रियं दहति भवत्यात्मना। योजं पञ्चौदनं दक्षिणाज्योतिषं ददाति ॥
ब्रह्म प्रजापतिर्धाता लोका वेदाः सप्तऋषयोऽग्नयः। तैर्मे कृतं स्वस्त्ययनमिन्द्रो मे शर्म यच्छतु ब्रह्मा मे शर्म यच्छतु। विश्वे मे देवाः शर्म यच्छन्तु सर्वे मे देवाः शर्म यच्छन्तु ॥
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