ध्रुवा दिग्विष्णुरधिपतिः कल्माषग्रीवो रक्षिता वीरुध इषवः। तेभ्यो नमोऽधिपतिभ्यो नमो रक्षितृभ्यो नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु। योस्मान्द्वेष्टि यं वयं द्विष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ॥
अथर्ववेद में भुरिगत्यष्टिः के 2 संदर्भ मिले
ध्रुवा दिग्विष्णुरधिपतिः कल्माषग्रीवो रक्षिता वीरुध इषवः। तेभ्यो नमोऽधिपतिभ्यो नमो रक्षितृभ्यो नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु। योस्मान्द्वेष्टि यं वयं द्विष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ॥
सूर्यस्य रश्मीननु याः सञ्चरन्ति मरीचीर्वा या अनुसञ्चरन्ति। यासामृषभो दूरतो वाजिनीवान्त्सद्यः सर्वान्लोकान्पर्येति रक्षन्। स न ऐतु होममिमं जुषाणो३ऽन्तरिक्षेण सह वाजिनीवान् ॥
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