नमः शीताय तक्मने नमो रूराय शोचिषे कृणोमि। यो अन्येद्युरुभयद्युरभ्येति तृतीयकाय नमो अस्तु तक्मने ॥
अथर्ववेद में पुरोऽनुष्टुप् के 6 संदर्भ मिले
नमः शीताय तक्मने नमो रूराय शोचिषे कृणोमि। यो अन्येद्युरुभयद्युरभ्येति तृतीयकाय नमो अस्तु तक्मने ॥
पथ्या रेवतीर्बहुधा विरूपाः सर्वाः संगत्य वरीयस्ते अक्रन्। तास्त्वा सर्वाः संविदाना ह्वयन्तु दशमीमुग्रः सुमना वशेह ॥
ये अग्नयो अप्स्वन्तर्ये वृत्रे ये पुरुषे ये अश्मसु। य आविवेशौषधीर्यो वनस्पतींस्तेभ्यो अग्निभ्यो हुतमस्त्वेतत् ॥
आपो अग्रे विश्वमावन्गर्भं दधाना अमृता ऋतज्ञाः। यासु देवीष्वधि देव आसीत्कस्मै देवाय हविषा विधेम ॥
मल्वं बिभ्रती गुरुभृद्भद्रपापस्य निधनं तितिक्षुः। वराहेण पृथिवी संविदाना सूकराय वि जिहीते मृगाय ॥
उपास्मान्प्राणो ह्वयतामुप प्राणं हवामहे। वर्चो जग्राह पृथिव्यन्तरिक्षं वर्चः सोमो बृहस्पतिर्विधत्ता ॥
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