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अथर्ववेद में पराविराट्त्रिष्टुप् के 1 संदर्भ मिले

अस्मिन्निन्द्रो नि दधातु नृम्णमिमं देवासो अभिसंविशध्वम्। दीर्घायुत्वाय शतशारदायायुष्माञ्जरदष्टिर्यथासत् ॥