देवता : प्रजापतिरिन्द्रश्च ऋषि : NA छन्द : निचृदार्ष्यनुष्टुप् स्वर : कुन्ताप सूक्त त्वमिन्द्र शर्मरिणा हव्यं पारावतेभ्यः। विप्राय स्तुवते वसुवनिं दुरश्रवसे वह ॥ Atharvaveda/20/135/11