त्वमिन्द्राभिभूरसि त्वं सूर्यमरोचयः । विश्वकर्मा विश्वदेवो महाँ असि ॥
ऋग्वेद में ककुम्मत्युष्णिक् के 2 संदर्भ मिले
त्वमिन्द्राभिभूरसि त्वं सूर्यमरोचयः । विश्वकर्मा विश्वदेवो महाँ असि ॥
त्वं हि शश्वतीनामिन्द्र दर्ता पुरामसि । हन्ता दस्योर्मनोर्वृधः पतिर्दिवः ॥
वेद पढ़ना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। जन जन तक वैदिक वांग्मय का प्रचार व प्रसार करना इस वेद पोर्टल का मुख्य उद्देश्य है। यह प्रकल्प आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहा है। इसके अंतर्गत वेद मन्त्रों का डिजिटलीकरण एवं वेद सर्च इंजन विकसित किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न भाषाओँ में वेद भाष्यों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। ... आगे पढ़ें
2025 © आर्य समाज - सभी अधिकार सुरक्षित.