देवता : अतिथिः, विद्या ऋषि : ब्रह्मा छन्द : एकपदासुर्युष्णिक् स्वर : अतिथि सत्कार ज्योतिष्मतो लोकाञ्जयति य एवं वेद ॥ Atharvaveda/9/6/14