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ऋग्वेद

इस ऋग्वेद से सब पदार्थों की स्तुति होती है अर्थात् ईश्वर ने जिसमें सब पदार्थों के गुणों का प्रकाश किया है, इसलिये विद्वान् लोगों को चाहिये कि ऋग्वे...

यजुर्वेद

जो कर्मकांड है, सो विज्ञान का निमित्त और जो विज्ञानकांड है, सो क्रिया से फल देने वाला होता है। कोई जीव ऐसा नहीं है कि जो मन, प्राण, वायु, इन्द्रिय ...

सामवेद

इस वेद में कुल 1875 मन्त्र संग्रहित हैं। उपासना को प्रधानता देने के कारण चारों वेदों में आकार की दृष्टि से लघुतम सामवेद का विशिष्ट महत्व है। श्रीमद...

अथर्ववेद

अथर्ववेद धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की साधनों की कुन्जी है। जीवन एक सतत संग्राम है। अथर्ववेद जीवन-संग्राम में सफलता प्राप्त करने के उपाय बताता है।

आज का वेद मन्त्र

त्वया वयं सुवृधा ब्रह्मणस्पते स्पार्हा वसु मनुष्या ददीमहि। या नो दूरे तळितो या अरातयोऽभि सन्ति जम्भया ता अनप्नसः॥

यदि विद्वानों के उपदेश को न ग्रहण करें तो मनुष्य दानशील न हों, जो अकर्मठ अर्थात् कर्म नहीं करते कृपण पुरुष और स्त्रीजन हैं, वे बिजली के समान पुरुषार्थयुक्त करने चाहिये ॥९॥ -आगे पढ़ें

वेद सम्बन्धी कथन