ऋग्वेद

इस ऋग्वेद से सब पदार्थों की स्तुति होती है अर्थात् ईश्वर ने जिसमें सब पदार्थों के गुणों का प्रकाश किया है, इसलिये विद्वान् लोगों को चाहिये कि ऋग्वे...

यजुर्वेद

जो कर्मकांड है, सो विज्ञान का निमित्त और जो विज्ञानकांड है, सो क्रिया से फल देने वाला होता है। कोई जीव ऐसा नहीं है कि जो मन, प्राण, वायु, इन्द्रिय ...

सामवेद

इस वेद में कुल 1875 मन्त्र संग्रहित हैं। उपासना को प्रधानता देने के कारण चारों वेदों में आकार की दृष्टि से लघुतम सामवेद का विशिष्ट महत्व है। श्रीमद...

अथर्ववेद

अथर्ववेद धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की साधनों की कुन्जी है। जीवन एक सतत संग्राम है। अथर्ववेद जीवन-संग्राम में सफलता प्राप्त करने के उपाय बताता है।

आज का वेद मन्त्र

ऋतं देवाय कृण्वते सवित्र इन्द्रायाहिघ्ने न रमन्त आपः। अहरहर्यात्यक्तुरपां कियात्या प्रथमः सर्ग आसाम्॥

जैसे अन्तरिक्षस्थ वायु में जल ठहरता है, वैसे सूर्य में नहीं ठहरता, सूर्यमण्डल से ही वर्षा द्वारा जल की प्रकटता होती है और यही सूर्य जल को ऊपर खींचता और वर्षाता है। जल की प्रथम सृष्टि अग्नि से ही होती है, ऐसा जानना चाहिये ॥१॥ -आगे पढ़ें

वेद सम्बन्धी कथन