वात आ वातु भेषजꣳ शम्भु मयोभु नो हृदे । प्र न आयूꣳषि तारिषत् ॥१८४॥
We found 4 references of उलो वातायनः in Samveda!
वात आ वातु भेषजꣳ शम्भु मयोभु नो हृदे । प्र न आयूꣳषि तारिषत् ॥१८४॥
वात आ वातु भेषजꣳ शम्भु मयोभु नो हृदे । प्र न आयूꣳषि तारिषत् ॥१८४०॥
उत वात पितासि न उत भ्रातोत नः सखा । स नो जीवातवे कृधि ॥१८४१॥
यददो वात ते गृहे३ऽमृतं निहितं गुहा । तस्य नो देहि जीवसे ॥१८४२॥