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अ॒भि प्रि॒याणि॑ पवते पुना॒नो दे॒वो दे॒वान्त्स्वेन॒ रसे॑न पृ॒ञ्चन् । इन्दु॒र्धर्मा॑ण्यृतु॒था वसा॑नो॒ दश॒ क्षिपो॑ अव्यत॒ सानो॒ अव्ये॑ ॥

English Transliteration

abhi priyāṇi pavate punāno devo devān svena rasena pṛñcan | indur dharmāṇy ṛtuthā vasāno daśa kṣipo avyata sāno avye ||

Pad Path

अ॒भि । प्रि॒याणि॑ । प॒व॒ते॒ । पु॒ना॒नः । दे॒वः । दे॒वान् । स्वेन॑ । रसे॑न । पृ॒ञ्चन् । इन्दुः॑ । धर्मा॑णि । ऋ॒तु॒ऽथा । वसा॑नः । दश॑ । क्षिपः॑ । अ॒व्य॒त॒ । सानौ॑ । अव्ये॑ ॥ ९.९७.१२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:97» Mantra:12 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:13» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:6» Mantra:12


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (देवः) उक्त परमात्मरूप देव (देवान्) विद्वानों को (स्वेन) अपने (रसेन) आनन्द से (पृञ्चन्) तृप्त करता हुआ (अभि प्रियाणि) सब प्रिय पदार्थों को (पवते) पवित्र करता है। (पुनानः) सबको पवित्र करनेवाला परमात्मा (इन्दुः) जो प्रकाशस्वरूप है, वह (धर्माणि) वर्णाश्रमों के धर्म्मों को पृथक्-२ विधान करता हुआ (ऋतुथा) सब ऋतु और देश-कालों में (वसानः) निवास करता हुआ (दश, क्षिपः) पाँच स्थूल और पाँच सूक्ष्म भूतों के (अव्ये, सानौ) ब्रह्माण्डरूप इस कार्य्य में विराजमान होकर (अव्यत) हमारी रक्षा करता है ॥१२॥
Connotation: - परमात्मा सूत्रात्मारूप से सब सूक्ष्म और स्थूल भूतों में विराजमान है और उसी ने आदि सृष्टि में वर्णाश्रमों का गुण, कर्म, स्वभाव द्वारा विभाग किया है ॥१२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (देवः) परमात्मदेवः (देवान्) विदुषः (स्वेन) आत्मीयेन (रसेन) आनन्देन (पृञ्चन्) तर्पयन् (अभि प्रियाणि) सर्वान् प्रियपदार्थान् (पवते) पुनाति (पुनानः) सर्वान् पावयन् (इन्दुः) प्रकाशमयः सः (धर्माणि) वर्णाश्रमधर्मान्पृथक्कुर्वन् (ऋतुथा) सर्वर्तुषु (वसानः) निवसन् (दश, क्षिपः) पञ्चस्थूलानि पञ्च च सूक्ष्माणि भूतानि तेषां (अव्ये, सानौ) ब्रह्माण्डरूपकार्ये विराजमानः (अव्यत) अस्मान् रक्षति ॥१२॥