त्रि॒भिष्ट्वं दे॑व सवित॒र्वर्षि॑ष्ठैः सोम॒ धाम॑भिः । अग्ने॒ दक्षै॑: पुनीहि नः ॥
English Transliteration
tribhiṣ ṭvaṁ deva savitar varṣiṣṭhaiḥ soma dhāmabhiḥ | agne dakṣaiḥ punīhi naḥ ||
Pad Path
त्रि॒ऽभिः । त्वम् । दे॒व॒ । स॒वि॒तः॒ । वर्षि॑ष्ठैः । सो॒म॒ । धाम॑भिः । अग्ने॑ । दक्षैः॑ । पु॒नी॒हि॒ । नः॒ ॥ ९.६७.२६
Rigveda » Mandal:9» Sukta:67» Mantra:26
| Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:18» Mantra:1
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:26
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) परमात्मन् ! (अग्ने) हे ज्ञानस्वरूप ! (सवितः) हे सर्वोत्पादक ! (देव) हे दिव्यगुणसंपन्न परमात्मन् ! (त्वं) आप (त्रिभिः) तीन (धामभिः) शरीरों से (वर्षिष्ठैः) जो श्रेष्ठ हैं तथा (दक्षैः) दक्षतायुक्त हैं, उनसे (नः) हम लोगों को (पुनीहि) पवित्र करिए ॥२६॥
Connotation: - इस मन्त्र में स्थूल, सूक्ष्म और कारण इन तीनों शरीरों के शुद्धि की प्रार्थना है। प्रलयकाल में जीवात्मा जब प्रकृतिलीन होकर रहता है, उसका नाम कारणशरीर है तथा जिसके द्वारा जन्मान्तरों को प्राप्त होता है, उसका नाम सूक्ष्मशरीर है और तीसरा स्थूलशरीर है। इन तीनों शरीरों की पवित्रता का उपदेश यहाँ किया गया है ॥२६॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अग्ने) ज्ञानस्वरूप परमात्मन् ! (सवितः) हे सर्वोत्पादक ! (देव) दिव्यगुणसम्पन्न परमेश्वर ! (त्वम्) त्वं (त्रिभिः) त्रिभिः (धामभिः) शरीरैः (वर्षिष्ठैः) श्रेष्ठैस्तथा (दक्षैः) दक्षतायुक्तैः (सोम) हे परमात्मन् ! (नः) अस्मान् (पुनीहि) पवित्रय ॥२६॥