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वाच॑म॒ष्टाप॑दीम॒हं नव॑स्रक्तिमृत॒स्पृश॑म् । इन्द्रा॒त्परि॑ त॒न्वं॑ ममे ॥

English Transliteration

vācam aṣṭāpadīm ahaṁ navasraktim ṛtaspṛśam | indrāt pari tanvam mame ||

Pad Path

वाच॑म् । अ॒ष्टाऽप॑दीम् । अ॒हम् । नव॑ऽस्रक्तिम् । ऋ॒त॒ऽस्पृश॑म् । इन्द्रा॑त् । परि॑ । त॒न्व॑म् । म॒मे॒ ॥ ८.७६.१२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:76» Mantra:12 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:28» Mantra:6 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:12


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमेश्वर ! (ओजसा) स्वशक्ति से (वज्रम्) अपने न्यायदण्ड को (शिशानः) तीक्ष्ण करता हुआ तू (दिविष्टिषु) इस संसारपालनरूप क्रिया में (सुतम्) स्वयमेव शुद्ध कर बनाए हुए (सोमम्) निखिल पदार्थ की (पिब+इत्) रक्षा ही कर, जिस हेतु तू (मरुत्सखा) समस्त प्राणों का सखा है ॥९॥
Connotation: - ईश्वर जिस कारण सकल आत्माओं का सखा है और ये आत्मा भोज्यादि पदार्थों के विना नहीं रह सकते, अतः पदार्थों की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य है ॥९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे इन्द्र=परमेश्वर ! ओजसा=स्वशक्त्या। वज्रम्= स्वन्यायदण्डम्। शिशानः=तीक्ष्णीकुर्वन् त्वम्। दिविष्टिषु= संसारपालनयज्ञेषु। सुतं=स्वयमेव निष्पादितम्। सोमम्=सर्वं वस्तु। पिब+इत्=पालयैव। यतस्त्वम्। मरुत्सखासि ॥९॥