Devata: आदित्याः
Rishi: मत्स्यः साम्मदो मान्यो वा मैत्रावरुणिर्बहवो वा मत्स्या जालनध्दाः
Chhanda: गायत्री
Swara: षड्जः
शश्व॑न्तं॒ हि प्र॑चेतसः प्रति॒यन्तं॑ चि॒देन॑सः । देवा॑: कृणु॒थ जी॒वसे॑ ॥
English Transliteration
śaśvantaṁ hi pracetasaḥ pratiyantaṁ cid enasaḥ | devāḥ kṛṇutha jīvase ||
Pad Path
शश्व॑न्तम् । हि । प्र॒ऽचे॒त॒सः॒ । प्र॒ति॒ऽयन्त॑म् । चि॒त् । एन॑सः । देवाः॑ । कृ॒णु॒थ । जी॒वसे॑ ॥ ८.६७.१७
Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:17
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:54» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:17
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (आदित्यासः) हे सभासदों ! (वृकाणाम्) हिंसक, चोर, डाकू और द्रोही असत्यवादी और वृक पशु के समान भयङ्कर जनों के (आस्नः) मुख से (नः) हम प्रजाओं को (मुमोचत) बचाओ (अदिते) हे सभे ! (बद्धम्+स्तेनम्) बद्ध चोर को जैसे छोड़ते हैं, वैसे दुर्भिक्षादि पापों से पीड़ित और बद्ध हम लोगों को बचाइये ॥१४॥
Connotation: - प्रजा कितने प्रकारों से लूटी जाती है, इसका दृश्य यदि देखना हो, तो आँख फैलाकर ग्राम-ग्राम में देखो। मनुष्य वृकों और व्याघ्रों से भी बढ़कर स्वजातियों के हिंसक बन रहे हैं। सभा को उचित है कि इन उपद्रवों से प्रजा की रक्षा करे ॥१४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे आदित्यासः=आदित्याः सभ्याः ! वृकाणां=हिंसकानां वृकवद्भयङ्कराणाम्। आस्नः=आस्यात्। नः=अस्मान्। मुमोचत=मोचत। हे अदिते=सभे ! बद्धं स्तेनमिव दुर्भिक्षादिपापैः पीडितान् जनान् मोचय ॥१४॥