नृ॒वद्द॑स्रा मनो॒युजा॒ रथे॑न पृथु॒पाज॑सा । सचे॑थे अश्विनो॒षस॑म् ॥
nṛvad dasrā manoyujā rathena pṛthupājasā | sacethe aśvinoṣasam ||
नृ॒ऽवत् । द॒स्रा॒ । म॒नः॒ऽयुजा॑ । रथे॑न । पृ॒थु॒ऽपाज॑सा । सचे॑थे॒ इति॑ । अ॒श्वि॒ना॒ । उ॒षस॑म् ॥ ८.५.२
SHIV SHANKAR SHARMA
प्रभात में प्रथम राजाओं को क्या करना चाहिये, यह शिक्षा देते हैं।
ARYAMUNI
अब ज्ञानयोगी और कर्मयोगी का उषाकाल सेवी होना कथन करते हैं।
SHIV SHANKAR SHARMA
प्रभाते प्रथमं राजभिः किमनुष्ठेयमिति शिक्षते।
ARYAMUNI
अथ ज्ञानयोगिकर्मयोगिनावुपलक्ष्य प्रातर्भ्रमणं सुखदमिति कथ्यते।