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ऋ॒ते स वि॑न्दते यु॒धः सु॒गेभि॑र्या॒त्यध्व॑नः । अ॒र्य॒मा मि॒त्रो वरु॑ण॒: सरा॑तयो॒ यं त्राय॑न्ते स॒जोष॑सः ॥

English Transliteration

ṛte sa vindate yudhaḥ sugebhir yāty adhvanaḥ | aryamā mitro varuṇaḥ sarātayo yaṁ trāyante sajoṣasaḥ ||

Pad Path

ऋ॒ते । सः । वि॒न्द॒ते॒ । यु॒धः । सु॒ऽगेभिः॑ । या॒ति॒ । अध्व॑नः । अ॒र्य॒मा । मि॒त्रः । वरु॑णः॒ । सऽरा॑तयः । यम् । त्राय॑न्ते । स॒ऽजोष॑सः ॥ ८.२७.१७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:27» Mantra:17 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:34» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:17


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SHIV SHANKAR SHARMA

विद्वानों की रक्षा का माहात्म्य दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (यम्) जिस पुरुष के प्रति (अर्य्यमा) वैश्यप्रतिनिधि (मित्रः) ब्राह्मणप्रतिनिधि (वरुणः) राजप्रतिनिधि, ये तीनों मिलकर (सरातयः) समानरूप से दान देते हैं और (सजोषसः) जिसके ऊपर समान प्रीति करते हैं या जिसके गृह पर मिलते रहते हैं, (सः) वह पुरुष (युधः+ऋते) मानसिक और लौकिक युद्ध के बिना ही (विन्दते) नाना सम्पत्तियों का सञ्चय करता है और (सुगेभिः) अपने समाज में उत्तम धर्म, उत्तम शिक्षा, नम्रता, वाणी की मधुरता और सौजन्य आदि जो अच्छे गमन हैं, उनके साथ (अध्वनः+याति) पैतृक मार्ग पर चलता है अथवा (सुगेभिः+अध्वनः+याति) हय, गन्न आदि सुन्दर यानों से मार्ग पर चलता है ॥१७॥
Connotation: - प्रत्येक नर समाज और देश के विचारशील पुरुषों के साथ सत्सङ्ग करे और उनकी सम्मति लेकर अपने आचरण बनावे, तब ही उसकी महती समृद्धि होती है ॥१७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

विद्वद्रक्षामाहात्म्यं प्रदर्शयति।

Word-Meaning: - यं पुरुषम्। अर्य्यमा=वैश्यप्रतिनिधिः। मित्रः=ब्राह्मणप्रतिनिधिः। वरुणः=राजप्रतिनिधिः। एते। सरातयः=समानदानाः। सजोषसः=परस्परं संमिलिताः सप्रीतयश्च। त्रायन्ते=रक्षन्ति। सः। युधः=संग्रामात्। “युध संहारे भावे क्विप्”। ऋते=विनापि। विन्दते=ज्ञानधनादि लभते। पुनः। सुगेभिः=शोभनगमनैः। अध्वनो याति •॥१७॥