Go To Mantra

अ॒मी॒व॒हा वा॑स्तोष्पते॒ विश्वा॑ रू॒पाण्या॑वि॒शन्। सखा॑ सु॒शेव॑ एधि नः ॥१॥

English Transliteration

amīvahā vāstoṣ pate viśvā rūpāṇy āviśan | sakhā suśeva edhi naḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

अ॒मी॒व॒ऽहा। वा॒स्तोः॒। प॒ते॒। विश्वा॑। रू॒पाणि॑। आ॒ऽवि॒शन्। सखा॑। सु॒ऽशेवः॑। ए॒धि॒। नः॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:55» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब आठ ऋचावाले पचपनवें सूक्त का प्रारम्भ है, इसके प्रथम मन्त्र में घर का स्वामी क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वास्तोष्पते) घर के स्वामी ! जिस घर में (विश्वा) सब (रूपाणि) रूप (आविशन्) प्रवेश करते हैं वहाँ (नः) हम लोगों के लिये (अमीवहा) रोग हरनेवाले (सखा) मित्र (सुशेवः) सुन्दर सुखवाले होते हुए (एधि) प्रसिद्ध हूजिये ॥१॥
Connotation: - हे गृहस्थो ! तुम सर्व प्रकार उत्तम घरों को बना कर सुखी होओ ॥१॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ गृहपतिः किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे वास्तोष्पते ! यत्र गृहे विश्वा रूपाण्याविशन् तत्र नोऽमीवहा सखा सुशेवः सन्नेधि ॥१॥

Word-Meaning: - (अमीवहा) योऽमीवान् रोगान् हन्ति (वास्तोः) गृहस्य (पते) स्वामिन् (विश्वा) सर्वाणि (रूपाणि) (आविशन्) आविशन्ति (सखा) सुहृत् (सुशेवः) सुष्ठुसुखः (एधि) भव (नः) अस्मभ्यम् ॥१॥
Connotation: - हे गृहस्था ! यूयं सर्वप्रकाराण्युत्तमानि गृहाणि निर्माय सुखिनो भवत ॥१॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात गृहस्थाचे काम व गुण यांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे गृहस्थांनो ! तुम्ही सर्व प्रकारे उत्तम घरे निर्माण करून सुखी व्हा. ॥ १ ॥