Go To Mantra

सं वां॑ श॒ता ना॑सत्या स॒हस्राश्वा॑नां पुरु॒पन्था॑ गि॒रे दा॑त्। भ॒रद्वा॑जाय वीर॒ नू गि॒रे दा॑द्ध॒ता रक्षां॑सि पुरुदंससा स्युः ॥१०॥

English Transliteration

saṁ vāṁ śatā nāsatyā sahasrāśvānām purupanthā gire dāt | bharadvājāya vīra nū gire dād dhatā rakṣāṁsi purudaṁsasā syuḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

सम्। वा॒म्। श॒ता। ना॒स॒त्या॒। स॒हस्रा॑। अश्वा॑नाम्। पु॒रु॒ऽपन्थाः॑। गि॒रे। दा॒त्। भ॒रत्ऽवा॑जाय। वी॒र॒। नु। गि॒रे। दा॒त्। ह॒ता। रक्षां॑सि। पु॒रु॒ऽदं॒स॒सा॒। स्यु॒रिति॑ स्युः ॥१०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:63» Mantra:10 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:4» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:10


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा और सेनापति क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पुरुदंससा) बहुत उत्तम कर्म्मोंवाले (नासत्या) अधर्माचरण रहित जो (वाम्) तुम दोनों का (पुरुपन्थाः) बहुत प्रकार का मार्ग (अश्वानाम्) घोड़े वा अग्नि आदि पदार्थों की (गिरे) वाणी के लिये (शता) सैकड़ों वा (सहस्रा) हजारों प्रकारों को (सम्, दात्) अच्छे प्रकार देता है जो (भरद्वाजाय) धारण किया विज्ञान जिसने उसके लिये वा (गिरे) राजनीतियुक्त वाणी के लिये सैकड़ों और हजारों प्रकारों को (दात्) देता है जिससे (रक्षांसि) राक्षस (हता) नष्ट (स्युः) हों, हे (वीर) वीर ! उससे आप दुष्टों को (नू) शीघ्र मारो ॥१०॥
Connotation: - हे राजा और सेनापतियो ! जो धार्मिक न्याय से राज्य की पालना करने और शत्रुओं से अपनी सेना की रक्षा करने के लिये यत्न करे, उसके लिये असङ्ख्य धन और प्रतिष्ठा निरन्तर करो ॥१०॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजसेनेशौ किं कुर्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे पुरुदंससा नासत्या ! यो वां पुरुपन्था अश्वानां गिरे शता सहस्रा सं दाद्यो भरद्वाजाय गिरे शता सहस्रा दाद्येन रक्षांसि हता स्युः। हे वीर ! त्वं तेन दुष्टान् नू हिन्धि ॥१०॥

Word-Meaning: - (सम्) (वाम्) युवयोः (शता) शतानि (नासत्या) अविद्यमानाधर्म्माचरणौ (सहस्रा) सहस्राणि (अश्वानाम्) तुरङ्गाणामग्न्यादीनां वा (पुरुपन्थाः) पुरुर्बहुविधश्चासौ पन्थाश्च (गिरे) वाचे (दात्) ददाति (भरद्वाजाय) धृतविज्ञानाय (वीर) शत्रुघातिन् (नू) सद्यः (गिरे) राजनीतियुक्तायै वाचे (दात्) ददाति (हता) हताः दुष्टाः (रक्षांसि) प्राणिनः (पुरुदंससा) पुरूणि दंसांस्युत्तमानि कर्माणि ययोस्तौ (स्युः) भवेयुः ॥१०॥
Connotation: - हे राजसेनेशौ ! यो धार्मिको न्यायेन राज्यपालनाय शत्रुभ्यः स्वसेनारक्षणाय प्रयतेत तस्यासङ्ख्यं धनं प्रतिष्ठां च सततं कुर्यातम् ॥१०॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा व सेनापती! जो धार्मिक न्यायाने राज्याचे पालन करण्याचा व शत्रूंपासून आपल्या सेनेचे रक्षण करण्याचा प्रयत्न करतो त्याला असंख्य धन व प्रतिष्ठा द्या. ॥ १० ॥