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उप॑ नः सू॒नवो॒ गिरः॑ शृ॒ण्वन्त्व॒मृत॑स्य॒ ये। सु॒मृ॒ळी॒का भ॑वन्तु नः ॥९॥

English Transliteration

upa naḥ sūnavo giraḥ śṛṇvantv amṛtasya ye | sumṛḻīkā bhavantu naḥ ||

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Pad Path

उप॑। नः॒। सू॒नवः॑। गिरः॑। शृ॒ण्वन्तु॑। अ॒मृत॑स्य। ये। सु॒ऽमृ॒ळी॒काः। भ॒व॒न्तु॒। नः॒ ॥९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:52» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:15» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को कैसा नियम करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् वा विद्वानो ! (ये) जो (नः) हमारे (सूनवः) सन्तान हों वे (अमृतस्य) नाशरहित विज्ञान की (गिरः) विद्यायुक्त वाणियों को (उप, शृण्वन्तु) समीप में सुनें तथा (सुमृळीकाः) सुन्दर सुखवाले होकर (नः) हमारी सेवा करनेवाले (भवन्तु) हों ॥९॥
Connotation: - पितृजनों को राजनीति वा अपने कुल में यह दृढ़ नियम करना चाहिये कि जितने हमारे सन्तान हैं, वे ब्रह्मचर्य्य से विद्याओं के समस्त ग्रहण के लिये ब्रह्मचर्य्य आश्रम को करें, जो इसका विनाश करे, उसे राजा वा कुलीन निरन्तर दण्ड देवें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कीदृशो नियमः कर्त्तव्य इत्याह ॥

Anvay:

हे राजन्विद्वांसो वा ! ये नः सूनवः स्युस्तेऽमृतस्य गिर उप शृण्वन्तु सुमृळीका भूत्वा नः सेवका भवन्तु ॥९॥

Word-Meaning: - (उप) (नः) अस्माकम् (सूनवः) अपत्यानि (गिरः) विद्यायुक्ता वाचः (शृण्वन्तु) (अमृतस्य) नाशरहितस्य विज्ञानस्य (ये) (सुमृळीकाः) सुष्ठु सुखिनः (भवन्तु) (नः) अस्मान् ॥९॥
Connotation: - पितृभी राजनीतौ स्वकुले वाऽयं दृढो नियमः कर्त्तव्यो यावन्त्यस्माकमपत्यानि स्युस्तावन्ति ब्रह्मचर्येण समस्तविद्याग्रहणाय ब्रह्मचर्यं कुर्य्युर्योऽस्य विच्छेदं कुर्यात्तं राजा कुलीनाश्च भृशं दण्डयेयुः ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - पितृजनांनी राजनीती किंवा आपल्या कुलात हा नियम दृढ करावा की, आमच्या संतानांनी ब्रह्मचर्यपूर्वक सर्व विद्या ग्रहण करण्यासाठी ब्रह्मचर्य पालन करावे व जो त्याचा भंग करतो त्याला राजा अथवा कुलीन व्यक्तीने सतत दंड द्यावा. ॥ ९ ॥