स्तो॒त्रमिन्द्रो॑ म॒रुद्ग॑ण॒स्त्वष्टृ॑मान्मि॒त्रो अ॑र्य॒मा। इ॒मा ह॒व्या जु॑षन्त नः ॥११॥
stotram indro marudgaṇas tvaṣṭṛmān mitro aryamā | imā havyā juṣanta naḥ ||
स्तो॒त्रम्। इन्द्रः॑। म॒रुत्ऽग॑णः। त्वष्टृ॑ऽमान्। मि॒त्रः। अ॒र्य॒मा। इ॒मा। ह॒व्या। जु॒ष॒न्त॒। नः॒ ॥११॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्य किसके साथ क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्याः केन सह किं कुर्य्युरित्याह ॥
हे मनुष्या ! भवन्तो यो मरुद्गणस्त्वष्टृमान् मित्रोऽर्यमेन्द्रो भवेत्तेन सह न स्तोत्रमिमा हव्या च जुषन्त ॥११॥
MATA SAVITA JOSHI
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