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यथा॑ होत॒र्मनु॑षो दे॒वता॑ता य॒ज्ञेभिः॑ सूनो सहसो॒ यजा॑सि। ए॒वा नो॑ अ॒द्य स॑म॒ना स॑मा॒नानु॒शन्न॑ग्न उश॒तो य॑क्षि दे॒वान् ॥१॥

English Transliteration

yathā hotar manuṣo devatātā yajñebhiḥ sūno sahaso yajāsi | evā no adya samanā samānān uśann agna uśato yakṣi devān ||

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Pad Path

यथा॑। हो॒तः॒। मनु॑षः। दे॒वऽता॑ता। य॒ज्ञेभिः॑। सू॒नो॒ इति॑। स॒ह॒सः॒। यजा॑सि। ए॒व। नः॒। अ॒द्य। स॒म॒ना। स॒मा॒नान्। उ॒शन्। अ॒ग्ने॒। उ॒श॒तः। य॒क्षि॒। दे॒वान् ॥१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:4» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:5» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब आठ ऋचावाले चौथे सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सहसः) बलवान् के (सूनो) सन्तान और (होतः) दान करनेवाले (उशन्) कामना करते हुए (अग्ने) अग्नि के समान विद्वन् ! (यथा) जैसे (मनुषः) मनुष्य आप (यज्ञेभिः) मिले हुए साधनों और उपसाधनों से (देवताता) श्रेष्ठ यज्ञ में (यजासि) यजन करें, वैसे आप (अद्य) इस समय (समानान्) सदृशों और (उशतः) कामना करते हुए (नः) हम (देवान्) विद्वानों को (समना) संग्राम में (एवा) ही (यक्षि) उत्तम प्रकार मिलिये ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जैसे विद्वान् यज्ञ के करनेवाले जन अङ्ग और उपाङ्गों के सहित साधनों से यज्ञ को शोभित करते हैं, वैसे ही शूरवीर बलवान् योद्धा और विद्वान् जनों से राजा संग्राम को जीतें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे सहसः सूनो होतरुशन्नग्ने ! यथा मनुषो यज्ञेभिर्देवताता यजासि तथा त्वमद्य समानानुशतो नोऽस्मान् देवान् समनैवा यक्षि ॥१॥

Word-Meaning: - (यथा) (होतः) दातः (मनुषः) मनुष्यः (देवताता) दिव्ये यज्ञे (यज्ञेभिः) सङ्गतैः साधनोपसाधनैः (सूनो) अपत्य (सहसः) बलिष्ठस्य (यजासि) यजेत् (एवा) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (नः) अस्मान् (अद्य) (समना) सङ्ग्रामे। विभक्तेराकारादेशः। समनमिति सङ्ग्रामनाम। (निघं०२.१७)। (समानान्) सदृशान् (उशन्) कामयमान (अग्ने) अग्निरिव विद्वन् (उशतः) कामयमानान् (यक्षि) सङ्गच्छस्व (देवान्) विदुषः ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यथा विद्वांस ऋत्विजः साङ्गोपाङ्गैः साधनैर्यज्ञमलङ्कुर्वन्ति तथैव शूरवीरैर्बलिष्ठैर्योद्धृभिर्विद्वद्भी राजानः सङ्ग्रामं विजयेरन् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नी, ईश्वर व विद्वान यांचे गुणवर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे विद्वान ऋत्विज अंगउपांगासहित साधनांनी यज्ञ सुशोभित करतात तसे शूरवीर, बलवान योद्धे व विद्वान यांच्याद्वारे राजाने युद्ध जिंकावे. ॥ १ ॥