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अनु॒ प्र ये॑जे॒ जन॒ ओजो॑ अस्य स॒त्रा द॑धिरे॒ अनु॑ वी॒र्या॑य। स्यू॒म॒गृभे॒ दुध॒येऽर्व॑ते च॒ क्रतुं॑ वृञ्ज॒न्त्यपि॑ वृत्र॒हत्ये॑ ॥२॥

English Transliteration

anu pra yeje jana ojo asya satrā dadhire anu vīryāya | syūmagṛbhe dudhaye rvate ca kratuṁ vṛñjanty api vṛtrahatye ||

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Pad Path

अनु॑। प्र। ये॒जे॒। जनः॑। ओजः॑। अ॒स्य॒। स॒त्रा। द॒धि॒रे॒। अनु॑। वी॒र्या॑य। स्यू॒म॒ऽगृभे॑। दुध॑ये। अर्व॑ते। च॒। क्रतु॑म्। वृ॒ञ्ज॒न्ति॒। अपि॑। वृ॒त्र॒ऽहत्ये॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:36» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जो (जनः) मनुष्य जैसे शूरवीर जन (अस्य) इस संसार के मध्य में (सत्रा) सत्य (ओजः) बल को (दधिरे) धारण करते हैं और (वृत्रहत्ये) सङ्ग्राम में (स्यूमगृभे) एक दूसरे को मिले हुए के ग्रहण करनेवाले (वीर्याय) पराक्रम के लिये (क्रतुम्) बुद्धि को (अनु) पीछे धारण करते हैं (च) और (दुधये) मारनेवाले (अर्वते) प्राप्त हुए के लिये बुद्धि का (अपि) भी (वृञ्जन्ति) त्याग करते हैं, वैसे (अनु, प्र, येजे) यज्ञ करता है, उसको और उनको आप ग्रहण करिये और हिंसकों को वर्जिये ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य न्याय और दया से युक्त बुद्धि को धारण कर, धर्म्मयुक्त कर्म्मों को कर, दुष्टता को दूर कर और युद्ध में विजय प्राप्त करके श्रेष्ठों की सङ्गति करते हैं, वे दिनरात्रि बुद्धि को बढ़ा सकते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः कथं वर्त्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यो जनो यथा शूरवीरा अस्य सत्रौजो दधिरे वृत्रहत्ये स्यूमगृभे वीर्याय क्रतुमनु दधिरे दुधयेऽर्वते च क्रतुमपि वृञ्जन्ति तथाऽनु प्र येजे तं तांश्च त्वं गृहाण हिंसकान् वर्जय ॥२॥

Word-Meaning: - (अनु) (प्र) (येजे) यजति (जनः) (ओजः) बलम् (अस्य) संसारस्य मध्ये (सत्रा) सत्यम् (दधिरे) दधति (अनु) (वीर्याय) पराक्रमाय (स्यूमगृभे) स्यूमाननुस्यूनान् गृह्णाति तस्मै (दुधये) हिंसकाय (अर्वते) प्राप्ताय (च) (क्रतुम्) प्रज्ञाम् (वृञ्जन्ति) त्यजन्ति। अत्र व्यत्ययेन परस्मैपदम् (अपि) (वृत्रहत्ये) सङ्ग्रामे ॥२॥
Connotation: - ये मनुष्या न्यायदयाभ्यां युक्तां प्रज्ञां धृत्वा धर्म्याणि कर्माणि कृत्वा दुष्टतां निवार्य युद्धे विजयं प्राप्य सत्सङ्गतिं कुर्वन्ति ते प्रत्यहं बुद्धिं वर्धयितुं शक्नुवन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे न्याय, दयायुक्त बुद्धीने धर्मयुक्त कर्म करतात, दुष्टता दूर करून युद्धात विजय प्राप्त करतात व श्रेष्ठांची संगती धरतात, ती अहर्निश बुद्धी वाढवू शकतात. ॥ २ ॥