स॒मिधा॒ यस्त॒ आहु॑तिं॒ निशि॑तिं॒ मर्त्यो॒ नश॑त्। व॒याव॑न्तं॒ स पु॑ष्यति॒ क्षय॑मग्ने श॒तायु॑षम् ॥५॥
samidhā yas ta āhutiṁ niśitim martyo naśat | vayāvantaṁ sa puṣyati kṣayam agne śatāyuṣam ||
स॒म्ऽइधा॑। यः। ते॒। आऽहु॑तिम्। निऽशि॑तिम्। मर्त्यः॑। नश॑त्। व॒याऽव॑न्तम्। सः। पु॒ष्य॒ति॒। क्षय॑म्। अ॒ग्ने॒। श॒तऽआ॑युषम् ॥५॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥
हे अग्ने ! यो मर्त्यः समिधा ते निशितिमाहुतिं नशत् स वयावन्तं क्षयं शतायुषं प्राप्य पुष्यति ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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