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स म॒ज्मना॒ जनि॑म॒ मानु॑षाणा॒मम॑र्त्येन॒ नाम्नाति॒ प्र स॑र्स्रे। स द्यु॒म्नेन॒ स शव॑सो॒त रा॒या स वी॒र्ये॑ण॒ नृत॑मः॒ समो॑काः ॥७॥

English Transliteration

sa majmanā janima mānuṣāṇām amartyena nāmnāti pra sarsre | sa dyumnena sa śavasota rāyā sa vīryeṇa nṛtamaḥ samokāḥ ||

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Pad Path

सः। म॒ज्मना॑। जनि॑म। मानु॑षाणाम्। अम॑र्त्येन। नाम्ना॑। अति॑। प्र। स॒र्स्रे॒। सः। द्यु॒म्नेन॑। सः। शव॑सा। उ॒त। रा॒या। सः। वी॒र्ये॑ण। नृऽत॑मः। सम्ऽओ॑काः ॥७॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:18» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:5» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा को क्यो करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जैसे यह सेवक (मज्मना) बल से (सः) वह (द्युम्नेन) धन वा यश से (सः) वह (शवसा) विशेष बल से (सः) वह (राया) धन से और (उत) भी (सः) वह (वीर्य्येण) पराक्रम से (मानुषाणाम्) मनुष्यों के (अमर्त्येन) मरणधर्म्म से रहित कारण से और (नाम्ना) संज्ञा से (जनिम) जन्म अर्थात् प्रकट होने को (अति, प्र, सर्स्रे) अत्यन्त प्राप्त होता है वह (समोकाः) एक स्थानवाला (नृतमः) मनुष्यों के मध्य में अतिशय उत्तम होवे, वैसे आप करिये ॥७॥
Connotation: - राजा को चाहिये कि जैसे प्रजा और राजा के जन प्रसिद्धि, बल, धन, यश और पराक्रम को प्राप्त होवें, वैसे प्रयत्न करें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राज्ञा किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यथाऽयं भृत्यो मज्मना स द्युम्नेन स शवसा स रायोत स वीर्य्येण मानुषाणाममर्त्येन नाम्ना जनिम प्रादुर्भावमति प्र सर्स्रे सः समोका नृतमः स्यात्तथा विधेहि ॥७॥

Word-Meaning: - (सः) (मज्मना) बलेन (जनिम) जन्म प्रादुर्भावम् (मानुषाणाम्) मनुष्याणाम् (अमर्त्येन) मरणधर्म्मरहितेन कारणेन (नाम्ना) सञ्ज्ञया (अति) (प्र) (सर्स्रे) प्राप्नोति (सः) (द्युम्नेन) धनेन यशसा वा (सः) (शवसा) विशिष्टेन बलेन (उत) अपि (राया) धनेन (सः) (वीर्य्येण) पराक्रमेण (नृतमः) नृणां मध्येऽतिशयेनोत्तमः (समोकाः) एकस्थानः ॥७॥
Connotation: - राज्ञा तथा प्रजा राजजनाश्च प्रसिद्धिं बलं धनं कीर्तिं पराक्रमञ्च प्राप्नुयुस्तथा प्रयतितव्यम् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - राजाने असा प्रयत्न करावा की, प्रजा व राजजन प्रसिद्धी, बल, धन, यश मिळवून पराक्रमी बनतील. ॥ ७ ॥