ब्रह्म॑ प्र॒जाव॒दा भ॑र॒ जात॑वेदो॒ विच॑र्षणे। अग्ने॒ यद्दी॒दय॑द्दि॒वि ॥३६॥
brahma prajāvad ā bhara jātavedo vicarṣaṇe | agne yad dīdayad divi ||
ब्रह्म॑। प्र॒जाऽव॑त्। आ। भ॒र॒। जात॑ऽवेदः॑। विऽच॑र्षणे। अग्ने॑। यत्। दी॒दय॑त्। दि॒वि ॥३६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥
हे जातवेदो विचर्षणेऽग्ने ! यद्दिवि दीदयत् तेन प्रजावद् ब्रह्माऽऽभर ॥३६॥
MATA SAVITA JOSHI
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