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गर्भे॑ मा॒तुः पि॒तुष्पि॒ता वि॑दिद्युता॒नो अ॒क्षरे॑। सीद॑न्नृ॒तस्य॒ योनि॒मा ॥३५॥

English Transliteration

garbhe mātuḥ pituṣ pitā vididyutāno akṣare | sīdann ṛtasya yonim ā ||

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Pad Path

गर्भे॑। मा॒तुः। पि॒तुः। पि॒ता। वि॒ऽदि॒द्यु॒ता॒नः। अ॒क्षरे॑। सीद॑न्। ऋ॒तस्य॑। योनि॑म्। आ ॥३५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:35 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:27» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:35


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ईश्वर कैसा है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् जनो ! जो (अक्षरे) नहीं नाश होनेवाले अपने रूप, कारण वा जीव में (ऋतस्य) सत्य के (योनिम्) गृह को (आ) सब ओर से (सीदन्) प्राप्त होता हुआ (मातुः) माता का जैसै, वैसे भूमि का और (पितुः) पिता का जैसै सूर्य्य का (पिता) पालक और (गर्भे) गर्भ में (विदिद्युतानः) विशेष करके प्रकाशमान है, उसको सम्पूर्ण संसार का जनक जानो ॥३५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो उत्पन्न करने वालों का उत्पादक, प्रकाशकों का प्रकाशक है, उसकी सब लोग उपासना करें ॥३५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! योऽक्षर ऋतस्य योनिमाऽऽसीदन्मातुः पितुश्च पिता गर्भे विदिद्युतानोऽस्ति तं सर्वस्य विश्वस्य जनकं विजानन्तु ॥३५॥

Word-Meaning: - (गर्भे) आभ्यन्तरे (मातुः) जनन्या इव भूमेः (पितुः) जनक इव सवितुः (पिता) पालकः (विदिद्युतानः) विशेषेण प्रकाशमानः (अक्षरे) अविनाशिनि स्वरूपे कारणे जीवे वा (सीदन्) (ऋतस्य) सत्यस्य (योनिम्) गृहम् (आ) समन्तात् ॥३५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो जनकानां जनकः प्रकाशकानां प्रकाशकोऽस्ति तं सर्वं उपासीरन् ॥३५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो निर्माणकर्त्याचा निर्माणकर्ता, प्रकाशकांचा प्रकाशक आहे त्याचीच सर्व लोकांनी उपासना करावी. ॥ ३५ ॥