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अ॒ग्निरिद्धि प्रचे॑ता अ॒ग्निर्वे॒धस्त॑म॒ ऋषिः॑। अ॒ग्निं होता॑रमीळते य॒ज्ञेषु॒ मनु॑षो॒ विशः॑ ॥२॥

English Transliteration

agnir id dhi pracetā agnir vedhastama ṛṣiḥ | agniṁ hotāram īḻate yajñeṣu manuṣo viśaḥ ||

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Pad Path

अ॒ग्निः। इत्। हि। प्रऽचे॑ताः। अ॒ग्निः। वे॒धःऽत॑मः। ऋषिः॑। अ॒ग्निम्। होता॑रम्। ई॒ळ॒ते॒। य॒ज्ञेषु॑। मनु॑षः। विशः॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:14» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब मनुष्या क्या करते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिस (होतारम्) सब को धारण करने वा देनेवाले (अग्निम्) परमात्मा को (प्रचेताः) जाननेवाला (अग्निः) बिजुली जैसे वैसे (वेधस्तमः) अतीव विद्वान् (अग्निः) पवित्र (ऋषिः) मन्त्र और अर्थों को जाननेवाला और (मनुषः) विचार करनेवाले (विशः) मनुष्य (यज्ञेषु) सन्ध्योपासन आदि श्रेष्ठ कर्म्मों में (ईळते) स्तुति करते हैं, उस (इत्) ही की (हि) निश्चित आप लोग प्रशंसा करो ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! सब आप लोगों का परमेश्वर ही स्तुति करने, मानने, हृदय में धारण करने और उपासना करने योग्य है, ऐसा सब लोग निश्चय करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्याः किं कुर्वन्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यं होतारमग्निं प्रचेता अग्निर्वेधस्तमोऽग्निऋषिर्मनुषो विशश्च यज्ञेष्वीळते तमिद्धि यूयं प्रशंसत ॥२॥

Word-Meaning: - (अग्निः) विद्युदिव (इत्) एव (हि) (प्रचेताः) प्रज्ञापकः (अग्नि) पवित्रः (वेधस्तमः) विद्वत्तमः (ऋषिः) मन्त्रार्थवेत्ता (अग्निम्) परमात्मानम् (होतारम्) सर्वस्य धर्त्तारं दातारं वा (ईळते) स्तुवन्ति (यज्ञेषु) सन्ध्योपासनादिषु सत्कर्मसु (मनुषः) मननशीलाः (विशः) मनुष्याः। विश इति मनुष्यनाम। (निघं०२.३) ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! सर्वेषां युष्माकं परमेश्वर एव स्तोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्य उपासनीयोऽस्तीति सर्वे निश्चिन्वन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! परमेश्वरच स्तुती, मनन, निदिध्यासन व उपासना करण्यायोग्य आहे, असा तुम्ही सर्वांनी निश्चय करा. ॥ २ ॥