सं यदि॒षो वना॑महे॒ सं ह॒व्या मानु॑षाणाम्। उ॒त द्यु॒म्नस्य॒ शव॑स ऋ॒तस्य॑ र॒श्मिमा द॑दे ॥३॥
saṁ yad iṣo vanāmahe saṁ havyā mānuṣāṇām | uta dyumnasya śavasa ṛtasya raśmim ā dade ||
सम्। यत्। इ॒षः। वना॑महे। सम्। ह॒व्या। मानु॑षाणाम्। उ॒त। द्यु॒म्नस्य॑। शव॑सा। ऋ॒तस्य॑। र॒श्मिम्। आ। द॒दे॒ ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब विद्वान् के विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ विद्वद्विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! मानुषाणां द्युम्नस्यर्तस्य शवसा यद्धव्या इषो वयं सं वनामहे। उत रश्मिं समा ददे तथा यूयमपि कुरुत ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A