अ॒यं सोम॑श्च॒मू सु॒तोऽम॑त्रे॒ परि॑ षिच्यते। प्रि॒य इन्द्रा॑य वा॒यवे॑ ॥४॥
ayaṁ somaś camū suto matre pari ṣicyate | priya indrāya vāyave ||
अ॒यम्। सोमः॑। च॒मू इति॑। सु॒तः। अम॑त्रे। परि॑। सि॒च्य॒ते॒। प्रि॒यः। इन्द्रा॑य। वा॒यवे॑ ॥४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्यै किं कर्त्तव्यमित्याह ॥
हे मनुष्या ! योऽयं वायव इन्द्राय सुतः प्रियः सोमोऽमत्रे परि षिच्यते स चमू परि वर्धयति ॥४॥
MATA SAVITA JOSHI
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