Go To Mantra

स॒जूरा॑दि॒त्यैर्वसु॑भिः स॒जूरिन्द्रे॑ण वा॒युना॑। आ या॑ह्यग्ने अत्रि॒वत्सु॒ते र॑ण ॥१०॥

English Transliteration

sajūr ādityair vasubhiḥ sajūr indreṇa vāyunā | ā yāhy agne atrivat sute raṇa ||

Mantra Audio
Pad Path

स॒ऽजूः। आ॒दि॒त्यैः। वसु॑ऽभिः। स॒ऽजूः। इन्द्रे॑ण। वा॒युना॑। आ। या॒हि॒। अ॒ग्ने॒। अ॒त्रि॒ऽवत्। सु॒ते। र॒ण॒ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:51» Mantra:10 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:6» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:10


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्नि) अग्नि के समान विद्वन् ! जो (आदित्यैः) महीनों और (वसुभिः) पृथिवी आदिकों के साथ (सजूः) संयुक्त और (वायुना) बलवान् (इन्द्रेण) जीव के साथ (सजूः) संयुक्त (सुते) उत्पन्न हुए जगत् में (अत्रिवत्) व्यापक के सदृश वर्त्तमान है, उसके जनाने के लिये (आ, याहि) प्राप्त हूजिये और (रण) उपदेश करिये ॥१०॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो मन सम्बन्धी बिजुलीरूप अग्नि आकाश में स्थित हुआ वर्त्तमान है, उसको जान कर कार्य्यों में उपयोग करिये ॥१०॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने विद्वन्नादित्यैर्वसुभिस्सह सजूर्वायुनेन्द्रेण सजूः सुतेऽत्रिवद् वर्त्तते तद्विज्ञापनायाऽऽयाहि रण च ॥१०॥

Word-Meaning: - (सजूः) (आदित्यैः) मासैः (वसुभिः) पृथिव्यादिभिः (सजूः) (इन्द्रेण) जीवेन (वायुना) बलवता (आ, याहि) (अग्ने) पावकवद्विद्वन् (अत्रिवत्) (सुते) (रण) उपदिश ॥१०॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यो मानसो विद्युदग्निराकाशस्थो वर्त्तते तं विज्ञाय कार्य्येषूपयुङ्ध्वम् ॥१०॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जो मनासंबंधी विद्युतरूपी अग्नी आकाशात स्थित असतो त्याला जाणून कार्यामध्ये उपयोग करा. ॥ १० ॥