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आ नो॑ म॒हीम॒रम॑तिं स॒जोषा॒ ग्नां दे॒वीं नम॑सा रा॒तह॑व्याम्। मधो॒र्मदा॑य बृह॒तीमृ॑त॒ज्ञामाग्ने॑ वह प॒थिभि॑र्देव॒यानैः॑ ॥६॥

English Transliteration

ā no mahīm aramatiṁ sajoṣā gnāṁ devīṁ namasā rātahavyām | madhor madāya bṛhatīm ṛtajñām āgne vaha pathibhir devayānaiḥ ||

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Pad Path

आ। नः॒। म॒हीम्। अ॒रम॑तिम्। स॒ऽजोषाः॑। ग्नाम्। दे॒वीम्। नम॑सा। रा॒तऽह॑व्याम्। मधोः॑। मदा॑य। बृ॒ह॒तीम्। ऋ॒त॒ऽज्ञाम्। आ। अ॒ग्ने॒। व॒ह॒। प॒थिऽभिः॑। दे॒व॒ऽयानैः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:43» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विद्वद्विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! (आ) सब ओर से (सजोषाः) तुल्य प्रीति के सेवन करनेवाले आप (नमसा) सत्कार वा अन्न आदि से (देवयानैः) यथार्थवक्ता विद्वान् चलते हैं जिनसे उन (पथिभिः) मार्गों से (मधोः) मधुर आदि गुण युक्त से (मदाय) आनन्द के लिये (नः) हम लोगों को (अरमतिम्) विषयों में नहीं रमण करती हुई (रातहव्याम्) देने योग्य दान जिससे (ग्नाम्) प्राप्त होते हैं ज्ञान को जिससे तथा (ऋतज्ञाम्) सत्य को जानता है जिससे उस (बृहतीम्) बड़े पदार्थों के विषय से युक्त (देवीम्) देदीप्यमान मनोहर (महीम्) बड़ी वाणी को हम लोगों के लिये (आ, वह) प्राप्त कराइये ॥६॥
Connotation: - वे ही विद्वान् होते हैं जो सब प्रकार से सब काल में विद्या की याचना करते हैं और वे ही विद्वान् हैं, जो धर्मयुक्त मार्ग से विरुद्ध कुछ भी आचरण नहीं करते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! आ सजोषास्त्वं नमसा पथिभिर्देवयानैर्मधोर्मदाय नोऽरमतिं रातहव्यां ग्नामृतज्ञां बृहतीं देवीं महीं न आ वह ॥६॥

Word-Meaning: - (आ) (नः) अस्मान् (महीम्) महतीं वाचम् (अरमतिम्) विषयेष्वरममाणाम् (सजोषाः) समानप्रीतिसेवी (ग्नाम्) गच्छन्ति ज्ञानं यया ताम् (देवीम्) देदीप्यमानां कमनीयाम् (नमसा) सत्कारेणान्नादिना वा (रातहव्याम्) रातानि हव्यानि दातव्यानि दानानि यया ताम् (मधोः) मधुरादिगुणयुक्तात् (मदाय) आनन्दाय (बृहतीम्) बृहत्पदार्थविषयाम् (ऋतज्ञाम्) ऋतं सत्यं जानाति यया ताम् (आ) (अग्ने) विद्वन् (वह) प्रापय (पथिभिः) मार्गैः (देवयानैः) देवा आप्ता विद्वांसो गच्छन्ति येषु तैः ॥६॥
Connotation: - त एव विद्वांसो जायन्ते ये सर्वथा सर्वदा विद्यां याचन्ते त एव विद्वांसो ये धर्म्यात् पथो विरुद्धं किमप्याचरणं न कुर्वन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे सर्व प्रकारे सर्वकाळी विद्येची याचना करतात तेच विद्वान असतात व जे धर्ममार्गाच्या विरुद्ध आचरण करीत नाहीत तेच विद्वान असतात. ॥ ६ ॥