मा॒तुष्प॒दे प॑र॒मे शु॒क्र आ॒योर्वि॑प॒न्यवो॑ रास्पि॒रासो॑ अग्मन्। सु॒शेव्यं॒ नम॑सा रा॒तह॑व्याः॒ शिशुं॑ मृजन्त्या॒यवो॒ न वा॒से ॥१४॥
mātuṣ pade parame śukra āyor vipanyavo rāspirāso agman | suśevyaṁ namasā rātahavyāḥ śiśum mṛjanty āyavo na vāse ||
मा॒तुः। प॒दे। प॒र॒मे। शु॒क्रे। आ॒योः। वि॒प॒न्यवः॑। रास्पि॒रासः॑। अ॒ग्म॒न्। सु॒ऽशेव्य॑म्। नम॑सा। रा॒तऽह॑व्याः। शिशु॑म्। मृ॒ज॒न्ति॒। आ॒यवः॑। न। वा॒से ॥१४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! ये शुक्रे परमे मातुष्पद आयोर्विपन्यवो रास्पिरासो रातहव्या नमसा वास आयवः शिशुं मृजन्ति न सुशेव्यमग्मन् ते सुशेव्या जायन्ते ॥१४॥
MATA SAVITA JOSHI
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