तं वो॑ दी॒र्घायु॑शोचिषं गि॒रा हु॑वे म॒घोना॑म्। अरि॑ष्टो॒ येषां॒ रथो॒ व्य॑श्वदाव॒न्नीय॑ते ॥३॥
taṁ vo dīrghāyuśociṣaṁ girā huve maghonām | ariṣṭo yeṣāṁ ratho vy aśvadāvann īyate ||
तम्। वः॒। दी॒र्घायु॑ऽशोचिषम्। गि॒रा। हु॒वे॒ म॒घोना॑म्। अरि॑ष्टः। येषा॑म्। रथः॑। वि। अ॒श्व॒ऽदा॒व॒न्। ईय॑ते ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! येषां मघोनां वोऽरिष्टो रथो वीयते तानहं हुवे। हे अश्वदावन् गृहस्थ ! त्वत्कल्याणाय तं दीर्घायुशोचिषमतिथिमहं गिरा हुवे ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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