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ते रा॒या ते सु॒वीर्यैः॑ सस॒वांसो॒ वि शृ॑ण्विरे। ये अ॒ग्ना द॑धि॒रे दुवः॑ ॥६॥

English Transliteration

te rāyā te suvīryaiḥ sasavāṁso vi śṛṇvire | ye agnā dadhire duvaḥ ||

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Pad Path

ते। रा॒या। ते। सु॒ऽवीर्यैः॑। स॒स॒ऽवांसः॑ वि। शृ॑ण्वि॒रे॒। ये। अ॒ग्ना। द॒धि॒रे। दुवः॑॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:8» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:6 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (ये) जो विद्वान् लोग (अग्ना) बिजुलीरूप अग्नि में (दुवः) अभ्यास सेवन को (दधिरे) धारण करते और गुणों को (वि, शृण्विरे) सुनते हैं (ते) वे (राया) धन के साथ (ते) वे (सुवीर्यैः) उत्तम पराक्रम और बलवालों के साथ (ससवांसः) शयन करते हुए से आनन्दित होते हैं ॥६॥
Connotation: - मनुष्य जब तक अग्नि आदि पदार्थों की विद्या का श्रवण और सेवन नहीं करते हैं, तब तक धनाढ्य और पूर्ण बलवाले हो नहीं सकते हैं और जैसे सुख से सोते हुए आनन्द को प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार अग्नि आदि विद्या को प्राप्त हुए दारिद्र्य का नाश करके धन और बल से सदा ही सुखी होते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये विद्वांसोऽग्ना दुवो दधिरे गुणान् वि शृण्विरे ते राया सह ते सुवीर्यैस्सह ससवांस इवानन्दन्ति ॥६॥

Word-Meaning: - (ते) (राया) धनेन (ते) (सुवीर्यैः) सुष्ठुपराक्रमबलैः (ससवांसः) शेरते (वि) (शृण्विरे) शृण्वन्ति (ये) (अग्ना) अग्नौ विद्युति (दधिरे) धरन्ति (दुवः) परिचरणम् ॥६॥
Connotation: - मनुष्या यावदग्न्यादिविद्याश्रवणसेवने न कुर्वन्ति तावद्धनाढ्या पूर्णबला भवितुं न शक्नुवन्ति यथा सुखेन शयाना आनन्दं भुञ्जते तथैवाग्न्यादिविद्यां प्राप्ता दारिद्र्यं विनाश्य धनबलाभ्यां सदैव सुखिनो भवन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसे जोपर्यंत अग्नी इत्यादी पदार्थांची विद्या श्रवण व सेवन करीत नाहीत तोपर्यंत धनाढ्य व पूर्ण बलवान होऊ शकत नाहीत. जसे सुखाने निद्रा घेणारे आनंद प्राप्त करतात त्याच प्रकारे अग्नी इत्यादी विद्या प्राप्त झालेले लोक दारिद्र्याचा नाश करून धन व बल यांनी सदैव सुखी होतात. ॥ ६ ॥