ते रा॒या ते सु॒वीर्यैः॑ सस॒वांसो॒ वि शृ॑ण्विरे। ये अ॒ग्ना द॑धि॒रे दुवः॑ ॥६॥
te rāyā te suvīryaiḥ sasavāṁso vi śṛṇvire | ye agnā dadhire duvaḥ ||
ते। रा॒या। ते। सु॒ऽवीर्यैः॑। स॒स॒ऽवांसः॑ वि। शृ॑ण्वि॒रे॒। ये। अ॒ग्ना। द॒धि॒रे। दुवः॑॥६॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
ये विद्वांसोऽग्ना दुवो दधिरे गुणान् वि शृण्विरे ते राया सह ते सुवीर्यैस्सह ससवांस इवानन्दन्ति ॥६॥