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कृ॒ष्णं त॒ एम॒ रुश॑तः पु॒रो भाश्च॑रि॒ष्ण्व१॒॑र्चिर्वपु॑षा॒मिदेक॑म्। यदप्र॑वीता॒ दध॑ते ह॒ गर्भं॑ स॒द्यश्चि॑ज्जा॒तो भव॒सीदु॑ दू॒तः ॥९॥

English Transliteration

kṛṣṇaṁ ta ema ruśataḥ puro bhāś cariṣṇv arcir vapuṣām id ekam | yad apravītā dadhate ha garbhaṁ sadyaś cij jāto bhavasīd u dūtaḥ ||

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Pad Path

कृ॒ष्णम्। ते॒। एम॑। रुश॑तः। पु॒रः। भाः। च॒रि॒ष्णु। अ॒र्चिः। वपु॑षाम्। इत्। एक॑म्। यत्। अप्र॑ऽवीता। दध॑ते। ह॒। गर्भ॑म्। स॒द्यः। चि॒त्। जा॒तः। भव॑सि। इत्। ऊ॒म् इति॑। दू॒तः॥९॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:7» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:7» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जिस (रुशतः) उत्तम रूपयुक्त प्रीतिकारक (ते) आपका (यत्) जो (कृष्णम्) खींचनेवाला (पुरः) प्रथम (भाः) प्रकाशमान (चरिष्णु) चलनेवाला (वपुषाम्) रूपवाले शरीरों के (एकम्) सहायरहित (अर्चिः) तेज (इत्) ही है, उसको हम लोग (एम) प्राप्त होवें और हे विद्वन् ! जैसे (अप्रवीता) नहीं जाती हुई स्त्री (गर्भम्) अन्तः स्वरूप को (दधते) धारण करती है, वैसे (ह) निश्चय से (सद्यः) शीघ्र (चित्) भी (जातः) प्रकट (दूतः) दूत के (इत्) सदृश वर्त्तमान (उ) ही (भवसि) होते हो, उससे सत्कार करने योग्य हो ॥९॥
Connotation: - हे अध्यापक कृपालो ! आप बिजुली के तेज की विद्या का हम लोगों के लिये बोध कराइये कि जिस तेज से दूत के सदृश कार्य्यों को हम लोग करावें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यस्य रुशतस्ते यत्कृष्णं पुरो भाश्चरिष्णु वपुषामेकमर्चिरिदस्ति तद्वयमेम। हे विद्वन् ! यथाऽप्रवीता गर्भं दधते तथा ह सद्यश्चिज्जातो दूत इवेदु भवसि तस्मात्सत्कर्त्तव्योऽसि ॥९॥

Word-Meaning: - (कृष्णम्) कर्षकम् (ते) तव (एम) प्राप्नुयाम (रुशतः) सुरूपस्य रुचिकरस्य (पुरः) पूर्वम् (भाः) प्रकाशमानः (चरिष्णु) यच्चरति गच्छति (अर्चिः) तेजः (वपुषाम्) रूपवतां शरीराणाम् (इत्) एव (एकम्) असहायम् (यत्) (अप्रवीता) अगच्छन्ती (दधते) धरति (ह) खलु (गर्भम्) अन्तःस्वरूपम् (सद्यः) शीघ्रम् (चित्) अपि (जातः) प्रकटः (भवसि) (इत्) (उ) (दूतः) दूत इव वर्त्तमानः ॥९॥
Connotation: - हे अध्यापक कृपालो ! त्वं विद्युत्तेजसो विद्यामस्मान् बोधय येन तेजसा दूतवत्कर्म्माणि वयं कारयेम ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे कृपाळू अध्यापका ! तू विद्युल्लतेच्या तेजाची विद्या आम्हाला शिकव. ज्या तेजाने आम्ही दूताप्रमाणे कार्य करावे. ॥ ९ ॥