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इ॒दमु॒ त्यन्महि॑ म॒हामनी॑कं॒ यदु॒स्रिया॒ सच॑त पू॒र्व्यं गौः। ऋ॒तस्य॑ प॒दे अधि॒ दीद्या॑नं॒ गुहा॑ रघु॒ष्यद्र॑घु॒यद्वि॑वेद ॥९॥

English Transliteration

idam u tyan mahi mahām anīkaṁ yad usriyā sacata pūrvyaṁ gauḥ | ṛtasya pade adhi dīdyānaṁ guhā raghuṣyad raghuyad viveda ||

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Pad Path

इ॒दम्। ऊ॒म् इति॑। त्यत्। महि॑। म॒हाम्। अनी॑कम्। यत्। उ॒स्रिया॑। सच॑त। पू॒र्व्यम्। गौः। ऋ॒तस्य॑। प॒दे। अधि॑। दीद्या॑नम्। गुहा॑। र॒घु॒ऽस्यत्। र॒घु॒ऽयत्। वि॒वे॒द॒॥९॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:5» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब समाधाता के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे जिज्ञासुजनो ! (यत्) जो (महाम्) बड़ों की (अनीकम्) सेना के सदृश (महि) बड़ा वा (ऋतस्य) सत्य के (पदे) स्थान में जो (दीद्यानम्) प्रकाशित होता हुआ विद्यमान है, उसको (गुहा) बुद्धि में (रघुष्यत्) शीघ्र हिलते हुए के समान (पूर्व्यम्) पूर्वजनों से उत्पन्न किये गए के समान (रघुयत्) शीघ्र जानेवाली (विवेद) जानती है (त्यत्, इदम्, उ) उस ही (उस्रिया) दुग्ध आदि की देनेवाली (गौः) गौ के सदृश (अधि) अधिक आप लोग (सचत) प्राप्त हूजिये ॥९॥
Connotation: - हे श्रोताजनो ! जो बुद्धि की प्रेरणा करने, मन्द और शीघ्र चलनेवाला सत्य परमेश्वर के मध्य में प्रकाशमान बलिष्ठ वाज पक्षी सेना के सदृश पराक्रमवाले बछड़े को सुख देती हुई गौ के सदृश सुख देनेवाला वस्तु है, वही आप लोगों का स्वरूप है ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ समाधातृविषयमाह ॥

Anvay:

हे जिज्ञासवो ! यन्महामनीकं महि ऋतस्य पदे यद्दीद्यानं गुहा रघुष्यत् पूर्व्यं रघुयद् विवेद त्यदिदमु उस्रिया गौरिवाधि यूयं सचत ॥९॥

Word-Meaning: - (इदम्) (उ) (त्यत्) तत् (महि) महत् (महाम्) महताम्। अत्र छान्दसो वर्णलोपो वेति तलोपः। (अनीकम्) सैन्यमिव (यत्) (उस्रिया) क्षीरादिप्रदा (सचत) प्राप्नुत (पूर्व्यम्) पूर्वैर्निष्पादितम् (गौः) (ऋतस्य) सत्यस्य (पदे) स्थाने (अधि) (दीद्यानम्) (गुहा) बुद्धौ (रघुष्यत्) सद्यः स्यन्दमानम् (रघुयत्) सद्यो गन्त्री (विवेद) वेत्ति ॥९॥
Connotation: - हे श्रोतारो जना ! यद्बुद्धिप्रेरकं मन्दशीघ्रगामि सत्यस्य परमेश्वरस्य मध्ये प्रकाशमानं बलिष्ठं सैन्यमिव वीर्यवद्वत्सं सुखयन्ती गौरिव सुखप्रदं वस्त्वस्ति तदेव युष्माकं स्वरूपमस्ति ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे श्रोतेगणहो (जिज्ञासू गण हो !) जो बुद्धीला प्रेरणा करणारा, मंद व शीघ्र चालणारा, खऱ्या परमेश्वरात प्रकाशमान, बलवान बहिरससाण्याप्रमाणे (श्येन पक्ष्याप्रमाणे) पराक्रमी, वासराला सुख देणाऱ्या गाईप्रमाणे सुख देणारा पदार्थ आहे, तेच तुमचे स्वरूप आहे. ॥ ९ ॥