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वि॒हि होत्रा॒ अवी॑ता॒ विपो॒ न रायो॑ अ॒र्यः। वाय॒वा च॒न्द्रेण॒ रथे॑न या॒हि सु॒तस्य॑ पी॒तये॑ ॥१॥

English Transliteration

vihi hotrā avītā vipo na rāyo aryaḥ | vāyav ā candreṇa rathena yāhi sutasya pītaye ||

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Pad Path

वि॒हि। होत्राः॑। अवी॑ताः। विपः॑। न। रायः॑। अ॒र्यः। वायो॒ इति॑। आ। च॒न्द्रेण॑। रथे॑न। या॒हि। सु॒तस्य॑। पी॒तये॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:48» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले अड़तालीसवें सूक्त का आरम्भ है। अब राजा प्रजा के साथ कैसे वर्ते, इस विषय को प्रथम मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वायो) विद्वान् (विपः) बुद्धिमान् ! आप (अर्यः) वैश्यजन (रायः) धनों के (न) जैसे वैसे (अवीताः) नाश से रहित क्रियाओं को (होत्राः) ग्रहण करते हुए (विहि) व्याप्त हूजिये और (सुतस्य) उत्पन्न किये रस की (पीतये) रक्षा के लिये (चन्द्रेण) सुवर्णमय (रथेन) वाहन से (आ, याहि) प्राप्त हूजिये ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जैसे बुद्धिमान् वैश्यजन प्रीति से धन की रक्षा करता है, वैसे ही आप और आपके भृत्यजन अच्छी प्रीति से प्रजाओं की निरन्तर रक्षा करो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजा प्रजाभिः सह कथं वर्त्तेतेत्याह ॥

Anvay:

हे वायो विपस्त्वमर्यो रायो नावीता होत्रा विहि सुतस्य पीतये चन्द्रेण रथेनाऽऽयाहि ॥१॥

Word-Meaning: - (विहि) व्याप्नुहि। अत्र वाच्छन्दसीति ह्रस्वः। (होत्राः) आददानाः (अवीताः) नाशरहिताः (विपः) मेधावी (न) इव (रायः) धनानि (अर्यः) वैश्यः (वायो) विद्वन् (आ) (चन्द्रेण) सुवर्णमयेन (रथेन) यानेन (याहि) आगच्छ (सुतस्य) निष्पादितस्य (पीतये) रक्षणाय ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यथा धीमान् वणिग्जनः प्रीत्या धनं रक्षति तथैव भवान् भवद्भृत्याश्च सम्प्रीत्या प्रजाः सततं रक्षन्तु ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात राजाच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे बुद्धिमान वैश्य प्रेमाने धनाचे रक्षण करतो तसेच तुम्ही व तुमचे सेवक मिळून निरंतर प्रेमाने प्रजेचे रक्षण करा. ॥ १ ॥