आदिद्ध॒ नेम॑ इन्द्रि॒यं य॑जन्त॒ आदित्प॒क्तिः पु॑रो॒ळाशं॑ रिरिच्यात्। आदित्सोमो॒ वि प॑पृच्या॒दसु॑ष्वी॒नादिज्जु॑जोष वृष॒भं यज॑ध्यै ॥५॥
ād id dha nema indriyaṁ yajanta ād it paktiḥ puroḻāśaṁ riricyāt | ād it somo vi papṛcyād asuṣvīn ād ij jujoṣa vṛṣabhaṁ yajadhyai ||
आत्। इत्। ह॒। नेमे॑। इ॒न्द्रि॒यम्। य॒ज॒न्ते॒। आत्। इत्। प॒क्तिः। पु॒रो॒ळाश॑म्। रि॒रि॒च्या॒त्। आत्। इत्। सोमः॑। वि। प॒पृ॒च्या॒त्। असु॑स्वीन्। आत्। इत्। जु॒जो॒ष॒। वृ॒ष॒भम्। यज॑ध्यै ॥५॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब योग्य आहार-विहार विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ युक्ताहारविहारविषयमाह ॥
हे मनुष्या ! येषां पुरोळाशं पक्ती रिरिच्यात् ते नेम आदिदिन्द्रियं यजन्ते यस्यादित् सोमोऽसुष्वीन् वि पपृच्यात् स आदिद् यजध्यै वृषभं जुजोष। आदिद्ध ते सर्वे राज्यं बलञ्च प्राप्तुमर्हेयुः ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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