क॒था कद॒स्या उ॒षसो॒ व्यु॑ष्टौ दे॒वो मर्त॑स्य स॒ख्यं जु॑जोष। क॒था कद॑स्य स॒ख्यं सखि॑भ्यो॒ ये अ॑स्मि॒न्कामं॑ सु॒युजं॑ तत॒स्रे ॥५॥
kathā kad asyā uṣaso vyuṣṭau devo martasya sakhyaṁ jujoṣa | kathā kad asya sakhyaṁ sakhibhyo ye asmin kāmaṁ suyujaṁ tatasre ||
क॒था। कत्। अ॒स्याः। उ॒षसः॑। विऽउ॑ष्टौ। दे॒वः। मर्त॑स्य। स॒ख्यम्। जु॒जो॒ष॒। क॒था। कत्। अ॒स्य॒। स॒ख्यम्। सखि॑ऽभ्यः। ये। अ॒स्मि॒न्। काम॑म्। सु॒ऽयुज॑म्। त॒त॒स्रे ॥५॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब प्रश्नोत्तर से मैत्रीकरणविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ प्रश्नोत्तराभ्याम्मैत्रीकरणविषयमाह ॥
हे विद्वांसो ! देवो विद्वानस्या उषसो व्युष्टौ मर्त्तस्य सख्यं कत्कथा जुजोष तेभ्यः सखिभ्योऽस्य सख्यं कत् कथा भवितुं योग्यं येऽस्मिन्त्सुयुजं कामं ततस्रे ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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