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असि॑क्न्यां॒ यज॑मानो॒ न होता॑ ॥१५॥

English Transliteration

asiknyāṁ yajamāno na hotā ||

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असि॑क्न्याम्। यज॑मानः। न। होता॑ ॥१५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:17» Mantra:15 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:23» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजदण्ड की प्रकर्षता को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो राजा (यजमानः) मेल करनेवाले के (न) सदृश (असिक्न्याम्) रात्रि में भयरहित (होता) सुख को देनेवाला होवे, वही निरन्तर आनन्द करे ॥१५॥
Connotation: - जिस राजा के प्रजाजनों में प्राणियों वा शयन किये हुओं में दण्ड जागता है, वह अभय का देनेवाला पुरुष किसी से भी भय को नहीं प्राप्त होता है ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजदण्डप्रकर्षतामाह ॥

Anvay:

यो राजा यजमानो नाऽसिक्न्यामभयस्य होता स्यात् स एव सततं मोदेत ॥१५॥

Word-Meaning: - (असिक्न्याम्) रात्रौ। असिक्नीति रात्रिनामसु पठितम्। (निघं०१.७) (यजमानः) सङ्गन्ता (न) इव (होता) सुखस्य दाता ॥१५॥
Connotation: - यस्य राज्ञः प्रजाजनेषु प्राणिषु सुप्तेषु दण्डो जागर्त्ति सोऽभयदः कुतश्चिदपि भयं नाऽऽप्नोति ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या राजाच्या प्रजेमध्ये, प्राण्यामध्ये, शयन केलेल्यामध्ये दंड (राजा) जागृत असतो तो अभय देणारा पुरुष कुणालाही घाबरत नाही. ॥ १५ ॥