तं त्वा॒ मर्ता॑ अगृभ्णत दे॒वेभ्यो॑ हव्यवाहन। विश्वा॒न्यद्य॒ज्ञाँ अ॑भि॒पासि॑ मानुष॒ तव॒ क्रत्वा॑ यविष्ठ्य॥
taṁ tvā martā agṛbhṇata devebhyo havyavāhana | viśvān yad yajñām̐ abhipāsi mānuṣa tava kratvā yaviṣṭhya ||
तम्। त्वा॒। मर्ताः॑। अ॒गृ॒भ्ण॒त॒। दे॒वेभ्यः॑। ह॒व्य॒ऽवा॒ह॒न॒। विश्वा॑न्। यत्। य॒ज्ञान्। अ॒भि॒ऽपासि॑। मा॒नु॒ष॒। तव॑। क्रत्वा॑। य॒वि॒ष्ठ्य॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उपदेशक विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनरुपदेशकविषयमाह।
हे मानुष हव्यवाहन यविष्ठ्य विद्वन् यद्विश्वान् यज्ञानभिपासि तस्य तव क्रत्वा मर्त्ता देवेभ्यस्तं त्वाऽगृभ्णत ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A