ये वृ॒क्णासो॒ अधि॒ क्षमि॒ निमि॑तासो य॒तस्रु॑चः। ते नो॑ व्यन्तु॒ वार्यं॑ देव॒त्रा क्षे॑त्र॒साध॑सः॥
ye vṛkṇāso adhi kṣami nimitāso yatasrucaḥ | te no vyantu vāryaṁ devatrā kṣetrasādhasaḥ ||
ये। वृ॒क्णासः॑। अधि॑। क्षमि॑। निऽमि॑तासः। य॒तऽस्रु॑चः। ते। नः॒। व्य॒न्तु॒। वार्य॑म्। दे॒व॒ऽत्रा। क्षे॒त्र॒ऽसाध॑सः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब विद्या से क्या होता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ विद्यया किं भवतीत्याह।
ये वृक्णासो निमितासो यतस्रुचः क्षम्यधि वर्त्तन्ते ते देवत्रा क्षेत्रसाधसो नो वार्य्यं व्यन्तु ॥७॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A