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दि॒वश्चि॒दा ते॑ रुचयन्त रो॒का उ॒षो वि॑भा॒तीरनु॑ भासि पू॒र्वीः। अ॒पो यद॑ग्न उ॒शध॒ग्वने॑षु॒ होतु॑र्म॒न्द्रस्य॑ प॒नय॑न्त दे॒वाः॥

English Transliteration

divaś cid ā te rucayanta rokā uṣo vibhātīr anu bhāsi pūrvīḥ | apo yad agna uśadhag vaneṣu hotur mandrasya panayanta devāḥ ||

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Pad Path

दि॒वः। चि॒त्। आ। ते॒। रु॒च॒य॒न्त॒। रो॒काः। उ॒षः। वि॒ऽभा॒तीः। अनु॑। भा॒सि॒। पू॒र्वीः। अ॒पः। यत्। अ॒ग्ने॒। उ॒शध॑क्। वने॑षु। होतुः॑। म॒न्द्रस्य॑। प॒नय॑न्त। दे॒वाः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:6» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वान् ! (दिवः) प्रकाश से लेकर (चित्) ही (ते) आपके (रोकाः) रुचि करनेवाले प्रकाश (आ, रुचयन्त) अच्छे प्रकार रुचते हैं जैसे सूर्य (पूर्वीः) प्राचीन (विभातीः) और विशेषता से प्रकाश होती हुई (उषः) प्रभातवेलाओं को प्रकाशित करता वा (अपः) जलों को वर्षाता है (यत्) जो आप विद्या के (अनुभासि) अनुकूलता से प्रकाशित होते हो उन (मन्द्रस्य) आनन्द देनेवाले (होतुः) दानशील (तव) आपके गुणों के जैसे (वनेषु) जंगलों में (उशधक्) मनोहर पदार्थों को जिससे जलाता वह अग्नि वर्त्तमान है वैसे (देवाः) विद्वान् जन (पनयन्त) प्रशंसित करो ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य सूर्य के समान प्रकाश कराने, दुष्टों को जलाने और श्रेष्ठों की स्तुति प्रशंसा करनेवाले होते हैं, वे बिजुली के समान कार्य के सिद्ध करनेवाले होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अग्ने विद्वन् ! दिवश्चित्ते रोका आ रुचयन्त यथा सूर्यः पूर्वीर्विभातीरुषः प्रकाशयत्यपो वर्षयति तथा यद्यस्त्वं विद्यामनुभासि तस्य मन्द्रस्य तव होतुर्गुणान् यथा वनेषूशधगग्निर्वर्त्तते तथा देवाः पनयन्त ॥७॥

Word-Meaning: - (दिवः) प्रकाशात् (चित्) इव (आ) (ते) तव (रुचयन्त) रुचिमाचक्षते (रोकाः) रुचिकराः प्रकाशाः (उषः) उषसः (विभातीः) विशेषेण प्रकाशयन्तीः (अनु) (भासि) प्रकाशयसि (पूर्वीः) प्राचीनाः (अपः) जलानि (यत्) यः (अग्ने) विद्वन् (उशधक्) उशः कमनीयान्दहति येन सः (वनेषु) जङ्गलेषु (होतुः) दातुः (मन्द्रस्य) आनन्दप्रदस्य (पनयन्त) प्रशंसत (देवाः) विद्वांसः ॥७॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्याः सूर्य्यवत् प्रकाशका दुष्टानां दग्धारः श्रेष्ठानां स्तावका भवन्ति ते विद्युद्वत्कार्यसाधका भवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे सूर्याप्रमाणे प्रकाश करविणारी, दुष्टांना जाळणारी, श्रेष्ठांची स्तुती, प्रशंसा करणारी असतात ती विद्युतप्रमाणे कार्य सिद्ध करणारी असतात. ॥ ७ ॥